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Online Hindustani Vocal Classes

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Online Hindustani Vocal Classes

ऑनलाइन हिंदुस्तानी वोकल क्लासेज के बारे में जानकारी

हिंदुस्तानी संगीत की सुंदरता को ताल की ऑनलाइन वोकल क्लासेस के साथ जानें! यह क्लासेस खास तौर पर शुरुआती लोगों के लिए बनाई गई हैं, जो आपको हिंदुस्तानी संगीत की परंपरा से जोड़ती हैं। हमारे 10 साल से ज्यादा अनुभव वाले गुरु आपको स्वरों, रागों और तालों का आसान और सही तरीका सिखाएंगे। अगर आप बिलकुल नए हैं या अपनी गायकी को मजबूत करना चाहते हैं, तो यह क्लासेस आपके लिए बिल्कुल सही हैं। आज ही तान के साथ अपनी संगीत यात्रा शुरू करें और हर स्वर का असली आनंद लें!
Embark on a musical journey with our online Hindustani vocal classes, bringing the rich tradition of Hindustani classical music to your home. Whether you're a beginner or looking to refine your skills, our personalized approach ensures a fulfilling learning experience.

आप क्या सीखेंगे?

इस परीक्षा में स्वर और ताल से परिचित होना तथा उसका क्रियात्मक संगीत में साधारण प्रयोग करना विद्यार्थी से अपेक्षित है।

प्रारम्भिक - गायन - हिंदुस्तानी

स्वरज्ञान

शुद्ध स्वर सरल समुदाय में गाना । स्वर अलंकारों से प्रारंभिक परिचय | पाँच स्वर अलंकार आना आवश्यक है। ४ स्वरोंके अलंकार उदाहरण – सारेगम, रेगमप…. / सागरेसा, रेमगरे,… |

रागज्ञान

निम्नलिखित रागों में एक गीत और किन्ही 2 रागों में एक लक्षणगीत
1. भूपाली, 2. दुर्गा, 3. खमाज, 4. कल्याण 5. भिमपलास, 6. काफी, 7. देस, 8. बागेश्री 
इन रागों के आरोह-अवरोह गाना-बजाना तथा गाए हुए सरल स्वर समुदाय द्वारा पहचानना।

तालज्ञान

त्रिताल और झपताल का ज्ञान और हाथ से ताल पकडना।

मौखिक

पाठ्यक्रम के रागों का वर्णन (स्वर, वादी, संवादी, समय, आरोह, अवरोह, आदि। )

निम्नलिखित शब्दों की संक्षिप्त परिभाषाएँ :

संगीत, आरोह, अवरोह, वादी, संवादी, ताल, सम, काठ, मात्रा, ठेका (ताली), स्वर

प्रवेशिका प्रथम - गायन - हिंदुस्तानी

प्रारंभिक का पूरा अभ्यास, साथ में

स्वरज्ञान

सात शुद्ध स्वरों का गाना, बजाना, पहचानना । शुद्ध स्वरों के सात सरल अलंकार विलम्बित और मध्य लय में गाना-बजाना। 6 स्वरों के अलंकार – जैसे सारेसारेगम, रेगरेगमप…/सारेसागरेसा, रेगरेमगरे… दो या तीन स्वर लगाने और पहचानने की क्षमता ।

रागज्ञान

प्रारंभिक की रागों मे से किन्ही 4 रागों में आलाप, बोलतान और तान सहित 5 मिनट तक गाने की या बजाने की तैयारी। सरल आलापों से राग पहचानना। अन्य 4 रागों के आरोह, अवरोह, स्थाई, अंतरा का ज्ञान आवश्यक।

तालज्ञान

त्रिताल, झपताल, दादरा, केहरवा, हाथ से ताल पकड़कर दिखाना |

मौखिक

पाठ्यक्रम के रागों का शास्त्रीय ज्ञान ।

स्वर, आरोह, अवरोह, जाती, वादी, संवादी, वर्जित स्वर, पकड आदि का विवरण ।

निम्नलिखित शब्दों की संक्षिप्त परिभाषाएँ :

आरोह, अवरोह, संगीत, वादी, संवादी, ताल, सम, मात्रा, काल (खाली), ठेका (ताली), खंड (विभाग), शुद्ध स्वर, कोमल स्वर, तीव्र स्वर, नाद, सप्तक, मुख्य अंग, आलाप, तान, लक्षणगीत, ध्वनी, मेल, अलंकार, पलटा, राग, स्वरमालिका (सरगमगीत)

छोटा ख्याल, स्थायी, अंतरा, लय (विलम्बित, मध्य, द्रु्त), ठेका, वर्जित स्वर, आवर्तन |

प्रवेशिका पूर्णा - गायन - हिंदुस्तानी

प्रारंभिक का पूरा अभ्यास, साथ में

स्वरज्ञान

शुद्ध स्वरों के गाने बजाने तथा पहचानने में निपुणता । विकृत स्वरों का ज्ञान

चार शुद्ध स्वरोंके समूह तथा तीन स्वरों के समूह को (जिसमें एक या दो स्वर विकृत हो) गाना बजाना तथा पहचानना। आठ स्वरोंके अलंकार जैसे सारेगरे सारेगम, रेगमग रेगमप…/सारेगरे सागरेसा, रेगमग रेमगरे…

रागज्ञान

प्रथम वर्ष के रागों की पुनरावृत्ती के साथ इस वर्ष निम्नलिखित 10 राग सीखने है ।
(1) बिहाग (2) केदार (3) सारंग (4) धानी (5) तिलककामोद (6) भैरव (7) तिलंग (8) पिलु (9) पटदीप (10) अल्हैया बिलावल

इन रागों में आरोह, अवरोह, प्रारंभिक आलाप-तान, बोलतान तथा एक-एक मध्य लय का ख्याल गत सीखनी है। इन रागों में से किनही ५ रागों में मध्य ‘लय के ख्याल गत आलाप-तान, बोलतान सहित 8 मिनट तक गाने-बजाने की तैयारी। इन दस रागों में से किन्ही तीन रागों में लक्षण गीत, एक भजन और एक नाट्य गीत विद्यार्थियों से तानपूरे पर गाने का अच्छा अभ्यास अपेक्षित है। गाये हुए आलापों द्वारा राग पहचानने की क्षमता। पहले सिखे हुए सभी ताल और इस वर्ष के द्रुत एकताल, रुपक हाथसे पकडकर उसके बोल बोलना।

लिखित

मध्यमा प्रथम - गायन - हिंदुस्तानी

सूचना – इस वर्ष की तथा आगे की सभी परीक्षाओं के गायन परीक्षार्थियों के साथ हार्मोनियम की संगत स्वीकार्य नहीं है।

लिखित

मध्यमा पूर्णा - गायन - हिंदुस्तानी

स्वरज्ञान

तालज्ञान

पहले तीन वर्षो के सभी ताल और इस वर्ष तेवरा और सुरफाक्ता (सुलताल) इस ताल के बोल, ताल पद्धती से लिखना और हाथ से ताल देकर बोल बोलना ।

लिखित

पहले तीन वर्षो के विषयों को विस्तृत रूप से दोहराकर निम्नलिखित विषयों का अध्ययन:

विशारद प्रथम - गायन - हिंदुस्तानी

क्रियात्मक

रागज्ञान

तालज्ञान

तीवरा, दिपचंदी, तिलवाडा (ऊपर के रागों में से एक ख्याल तिलवाडा ताल में आना आवश्यक है। )

लिखित

विशारद पूर्णा - गायन - हिंदुस्तानी

इस वर्ष सभा में गाने बजाने का अभ्यास तथा उसमें निपुणता प्राप्त करना अपेक्षित है। रागों का सूक्ष्म परिचय, संगीत के विभिन्न विषयों पर (क्रिया और शास्त्र) मौलिक विचार तथा उनको समझने तथा समझाने की योग्यता विद्यार्थी में होनी चाहिए। क्योंकि इस परीक्षा में उत्तीर्ण होते ही विद्यार्थी संगीत के क्षेत्र में पदार्पण करने के योग्य समझा जाता है। गायन वादन में अपनी प्रगती होनी चाहिए। अपना वाद्य मिलाने में निपुणता। संगीत की विभिन्न गायकी-प्रकारों से क्रियात्मक रूप से परिचय। धृपद की नोम-तोम और बोलबांट, ठुमरी में बोल बनाना, तराने की तैयार ताने तथा लयकारी, टप्पा अंग की ताने। एक प्रकार इस वर्ष के विद्यार्थी को संगीत जगत के हर क्षेत्र तथा उसके विविध अंगों और रूपों से परिचित होना आवश्यक है। जिससे उसका दृष्टिकोण व्यापक बने और वह योग्य शिक्षक बन सके।

स्वरज्ञान

तालज्ञान

लिखित

निम्नलिखित विषयों का यथोचित ज्ञान :

अलंकार प्रथम - गायन - हिंदुस्तानी

विस्तृत अध्ययन के राग

1. गुजरी तोड़ी, 2. मारुबिहाग, 3. शाम कल्याण, 4. परज, 5. शुद्ध कल्याण, 6. रामकली, 7. नायकी कानडा, 8. पूर्वाकल्याण, 9. देवगिरी बिलावल, 10. शुद्ध सारंग, 11. सूरमल्हार

साधारण ज्ञान के लिये निम्नलिखित राग है

1. भैरव-बहार, 2. कलावती, 3. अभोगी, 4. बसंत-बहार, 5. यमनी- बिलावल, 6. जोग, 7. मेघ-मल्हार, 8. रागेश्री, 9. चंद्रकंस, 10. हंसध्वनी

मंच-प्रदर्शन के लिये विद्यार्थी एक राग संपूर्ण विस्तार के साथ तथा एक ठुमरी, भजन अथवा ललित शैली की कोई भी रचना चुन सकता है। विस्तृत अध्ययन के रागों में विलम्बित और द्रुत रचना के साथ पूर्ण विस्तार अपेक्षित है। इसके अलावा इन रागों में रचना वैचित्र्य, ताल वैचित्र्य आदि का ध्यान रखकर अतिरिक्त बंदिशों का संकलन विद्यार्थी को करना चाहिए। जिसमें ध्रुपद धमार, तराने, चतरंग, त्रिवट, विविध तालों की बंदिशें आदि को समुचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। गायन वादन की विभिन्न शैलियों को प्रदर्शित करने वाली कुछ रचनाएँ भी संग्रहित करनी चाहिए।

सभी प्रचलित तालों के ठेके विभिन्न लयकारियों में बोलने का अभ्यास होना चाहिए। (दुगुन, तिगुन, चौगुन, डेढगुन, सवागुन इत्यादी)

स्वरलिपि करने तथा पढ़ने में विशेष योग्यता। तुरन्त नई स्वररचना बनाने का अभ्यास ।

लिखित

अलंकार पूर्ण - गायन - हिंदुस्तानी

विस्तृत अध्ययन के राग

(1) श्री (2) गौड – मल्हार (3) बहार (4) मारवा (5) गोरख कल्याण (6) अहिरभैरव (7) नन्द (8) बिलासखानी तोडी (9) कोमल रिषभ आसावरी (10) देसी (11) भटियार (12) देसकार

साधारण ज्ञान के राग

(1) गौरी (तीव्र मध्यम) (2) मधमाद सारंग (3) मधुवंती (4) मालगुंजी (5) जोगकंस (6) खंबावती (7) बिहागडा (8) सरफरदा बिलावल (9) कुकुभ बिलावल (10) जयंत मल्हार (11) रामदासी मल्हार

लिखित

प्रथम प्रश्नपत्र

द्वितीय प्रश्नपत्र

₹1500/ Month

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₹2500/ Month

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